Success Stories
Story 1
६७ वर्षीय दुर्गा देवी की किस्मत उस समय उनसे रूठ गयी जब उनके पति का देहांत आज से २० वर्ष पूर्व हो गया I पति का देहांत होते ही उनके चारों पुत्रों ने उनसे किनारा कस लिया और अपनी कोख से जन्म दिए जननी को लाचारी की हालत में छोड़ दिया तथा अपने अपने पत्नी और बच्चों के साथ अलग अलग रहने लगे I वो मां जिसने इन बच्चों को अपनी कोख से जन्म दिया , अमृत समान दूध पिलाया , खुद गीले में सोकर उन्हें सूखे में सुलाया , इतना बड़ा और काबिल किया की आज समाज में इज्जत की रोटी कमाने लायक हो गए, लेकिन उन्ही बच्चो ने उन्हें नकारा मानते हुए उम्र के आखिरी पड़ाव पर उनका साथ छोड़ दिया I दुर्गा देवी असहाय हो गयीं , शरीर जर जर होने लगा I विभिन्न प्रकार के मानसिक और शारीरिक पीड़ा से ग्रस्त हो गयी I घुटनों और कमर के दर्द ने उनका जीना मोहाल कर दिया I ऐसे में विकास एवं शिक्षण समिति (वेस) दुर्गा देवी की जिन्दगी में आशा की एक नई किरण बन के आई I वेस ने अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दुर्गा देवी का इलाज कराया I उनके जीवन यापन (Livelihood) के लिए चाय की एक दुकान भी खुलवाई I दुर्गा देवी के चहरे पर अब आत्मविश्वास के साथ एक मुस्कान है I हो भी क्यों ना , क्योंकि अब वो एक दुकान की मालकिन बन कर उससे कमा खा रही हैं और आसानी के साथ अपना गुजर बसर कर रही हैं I वेस के सक्रिय सदस्य श्री प्रदीप चौबे कहते हैं की आज दुर्गा देवी के चहरे पर आत्मनिर्भरता की मुस्कान तो जरूर है लेकिन पुत्र , पुत्रवधू और पौत्र पौत्रियों का सुख उनसे कोसों दूर है I वेस इस कोशिश में लगी है की उनका परिवार उनसे मिल जाए ताकि वो सम्मान के साथ साथ ख़ुशी पूर्वक अपना जीवन बिता पाएं I
Story 2
नारायण बाबा आज से २० – २२ साल पहले अपने घर परिवार को छोड़ कर साधू बन गए तथा काशी नगरी के एक आश्रम में प्रभु भक्ति , भजन कीर्तन करने लगे I भक्तों और श्रद्धालुओं से प्राप्त दान दक्षिणा से उनका जीवन यापन होने लगा I कुछ दिनों में उनके पेट में ट्यूमर की शिकायत हो गयी और पेट में सूजन आ गयी I इस रोग के ऑपरेशन और इलाज में २५०००/- का खर्च डाक्टरों ने बताया I इतने बड़े आर्थिक सहायता के आस में अपनी जिन्दगी उन्होंने भगवान् भरोसे छोड़ दिया और असहनीय पीड़ा से रोते रोते उनका दिन बीतने लगा I इतनी बड़ी आर्थिक सहायता हेतु कोई आगे नहीं आ रहा था I घोर निराशा के कारण बाबा अपने जीने की उम्मीद छोड़ चुके थे I ये दिलेरी ‘वेस’ ने दिखाई और बाबा के इलाज का जिम्मा अपने सर ले लिया I उनके लिए आर्थिक सहायता समाज से ही इकट्ठी की गयी I बाबा का ऑपरेशन शहर के प्रतिष्ठित सर्जन से कराया गया और उनके पेट का ऑपरेशन करके धातु की कटोरी लगाई गयी I उनका ऑपरेशन सफल रहा I बाबा अपने आपको स्वस्थ और खुश महसूस कर रहे हैं और अपने आपको पुनः भगवत भक्ति में लीन कर लिए हैं I
बाबा अपने आँखों में ख़ुशी के आंसू लिए हुए कहते हैं – “ वेस त हमके नई जिन्दगी दे देहलस I ई लोगन के हमरे बदे बाबा भोले भेजले रहलन I सच्चो इ लोग हमें दूसर जनम दे देहलन I